राष्ट्रीय पार्क व वन्य जीव अभ्यारण

राष्ट्रीय पार्क व वन्य जीव अभ्यारण (National Park and wildlife sanctuary)

park - राष्ट्रीय पार्क व वन्य जीव अभ्यारण
National Park




रणथम्भौर अभ्यारण्य ( सवाईमाधोपुर )  भरत की सबसे छोटी बाग़ परियोजनाभारतीय बाघों का घर कहलाता है |

इस अभ्यारण में गणेश जी का मंदिर , जोगी महल स्थित है | यह राजस्थान का प्रथम रास्ट्रीय अभ्यारण व टाइगर प्रोजेक्ट  है |  इसे राजस्थान के प्रथम रास्ट्रीय उधान का दर्जा 1 नवम्बर  1980 को दिया गया |

सरिस्का अभ्यारण्य ( अलवर ) राजस्थान का दूसरा बाघ परियोजना शेत्र  | यह कबुतारो के लिए प्रसिध है |  सरिस्का अभ्यारण में 4 मंदिर स्थित है | – पंदुपोल हनुमान जी , नीलकंठ महादेव . भर्तहरि व तालवृक्ष |

एक्सन टाइगर्स –  बाघों के अस्तित्व को बचाने के लिए विश्व के कई वन्यजीव संघठनो ने  एक्सन टाइगर्स नाम से एक योजना शुरु की है|

सज्जनगड अभ्यारण ( उदयपुर ) राजस्थान का सबसे छोटा अभ्यारण |
मरू राष्ट्रीय उधान   राजस्थान का सबसे बड़ा अभ्यारण |

जैसलमेर और बाड़मेर जिलो में संक्युत रूप से स्थित है 8 मई 1981 को 3162 वर्ग किलोमीटर शेत्र में इस उधान की स्थापना की गई |

इस अभ्यारण में गोडावन पाया जाता है|

आकल वुड फासिल पार्क इस अभ्यारण में स्थित हैं|

रामगढ विषधारी अभ्यारण ( बूंदी ) बाघ परियोजना के शत्रो केअतिरिक्त राजस्थान में एक मात्र एसा अभ्यारण ह जहा राष्ट्रीय पशु बाघ विचरण करते है | यहा धोकड़ा मुख्य व्रक्ष प्रजाति पाई जाती है |
केवलादेव अभ्यारण  एशिया की सबसे बड़ी प्रजनन स्थली ( गंभारी और गंगा नदियों के संगम पर स्थित )  इसे वर्ष 1985 में यूनस्को द्वारा विश्व प्राक्रतिक धरोहर ‘ के रूप में सामिल किया गया | साईंबेरियन सारस रूप में आने वाले पक्षी इस अभ्यारण में आते है |
गजनेर अभ्यारण्य ( बीकानेर )  यह अभ्यारण बटबद पक्षी के लिए विश्व में विख्यात है | इसे रेत का तीतर भी कहते है |
भैसरोड़गड अभ्यारण्य  चित्तौडगड में स्थित है |
 कुम्भलगड अभ्यारण्य   उदयपुर ( सर्वाधिक ) , राजसमन्द . पाली में विस्तृत | भेडियो की प्रजनन स्थली , जंगली धूसर मुर्गो हेतु प्रशिद्ध | घन्टेल – इस अभ्यारण में पाया जाने वाला चौसिंग हिरण |

रणकपुर का जैन मंदिर इस अभ्यारण में स्थित है |

 जवाहरसागर अभ्यारण्य   घड़ियाल के प्रजनन केंद्र हेतु विख्यात |

जियोंमाँरफोलाँजी – जवाहरसागर अभ्यारण्य में स्थित हैं|

 बस्सी अभ्यारण्य( चित्तोड़गड)   चीतलो हेतु प्रशिद्ध |
 जमवारामगड अभ्यारण्य ( जयपुर )   इसमें काला हिरण , श्याह्पोस तथा प्रवासी चिड़ियाए पाई जाती है |
 बंध बारेठ अभ्यारण्य (भरतपुर )  1985 में स्थापित , जरख के लिए प्रशिद्ध , उपनाम- परिंदों का घर |इस अभ्यारण्य में बारेठ नामक प्रशिद्ध झील है |
 शेरगड अभ्यारण्य ( बाराँ )  उपनाम – साँपो का शंरक्षण स्थल |
 तालछापर अभ्यारण्य ( चुरू )  काले हिरणों व प्रवासी पक्षी कुरंजा की सरणस्थली , इनका एक साथ पाया जाना एकमात्र इसी अभ्यारण्य की विशेषता है |

मोचिया साइप्रस रोटंड – वर्षा के मौसम में इस अभ्यारण्य में उगने वाली एक विशेष प्रकार की नर्म घास |

 जयसमंद अभ्यारण्य ( उदयपुर ) 1957 में स्थापित | इसका उपनाम जलचरो की बस्ती है |
 अमृतादेवी अभ्यारण्य (  जोधपुर ) क्रष्ण म्रर्गो के संरक्षण के लिए प्रशिद्ध  |
 आबू अभ्यारण्य ( सिरोही )  इसमें जंगली मुर्गे तथा डीकील पटेरा आबुंसिरा पादप ( विश्व में एकमात्र आबू पर्वत में ही ) पाया जाता है |

युब्लेफेरिस – इस अभ्यारण्य में पाई जाने वाली राजस्थानकी सबसे सुन्दर छिपकली |

धावाडोली अभ्यारण्य (जोधपुर ) क्रष्ण म‌‍ृर्गो के संरक्षण के लिए प्रशिद्ध
फुलवारी की नाल अभ्यारण्य  उदयपुर जिले में स्थित इस अभ्यारण्य की पहाड़ी से मासी नदी का उद्गम होता है |
माचिया सफारी ( जोधपुर ) राजस्थान का म्रगवन कहलाने वाला देश का प्रथम रास्ट्रीय मरू वानस्पतथिक उधान , क्रष्ण म‍‌ृर्ग और चिंकारा के लिए प्रशिद्ध |
वनविहार अभ्यारण्य ( धौलपुर )  आगरा , धौलपुर , मुंबई रास्ट्रीय मरू वानस्पतथिक उधान , क्रष्ण म‍‌ृर्ग और चिंकारा के लिए प्रशिद्ध
चम्बल बडियाल अभ्यारण्य  कोटा ( सर्वाधिक ) , सवाईमाधोपुर , बूंदी धौलपुर और करौली जिलो में विस्तृत |

चम्बल नदी घड़ियालो के लिए सर्वोतम प्राक्रतिक आवास है |

इसमें उदबिलाऊ पाए जाते है |

गांगेय सूंस – विशिस्ठ स्थनपाई जंतु इस अभ्यारण्य में पाया जाता है

रास्ट्रीय घड़ियाल अभ्यारण्य तथा जवाहर सागर अभ्यारण्य दोनों ही चम्बल भ्यारण्य में शामिल है |

यहा राज्य की एकमात्र बारहमासी ‘ चम्बल ‘ नदी बहती है | देश की एकमात्र नदी सेंक्चयुरी चम्बल  है |

मुकुंदरा हिल्स रास्ट्रीय पार्क  4 जनवरी ,2012 की राजस्थान मंत्रिमंडल की बैठक में मुकुंदरा हिल्स रास्ट्रीय पार्क को रास्ट्रीय  पार्क का दर्जा देने के संदर्भ में आधिसुचना जारी करने की घोषणा की गई एवम तत्पश्चात 9 जनवरी 2012 को इस संदर्भ में आधिसुचना जारी कर इस आभ्यारणय की रास्ट्रीय पार्क का दर्जा दे दिया गया | इस प्रकार राजस्थान में रास्ट्रीय पार्क की संख्या 2 से बदकर 3 हो गई है |

जनवरी 2006 में राज्य मंत्रिमंडलिय समिति ने दर्रा नेशनल पार्क ( कोटा ) को स्वीक्रति दे दी | इसके उत्तर व पश्चिम में चम्बल , पूर्वी शेत्र में कालिसिंधी , दक्षिण शेत्र में आहू तथा आमझर   नदिया प्रवाहित होती है |

अलेक्जेंड्रिया पेराकीट ( गागरोनी तोता )- मुकुंदरा हिल्स अभ्यारण में पाया जाने वाला विशेष प्रजाति का तोता | इसे हीरामन तोता तथा ‘ हिन्दूओ का आकाश लोचन ‘ भी कहा जाता है |

 टाडगड रावली ( अजमेर )  26 जनवरी 2008 , को तत्कालीन मुख्मंत्री वसुंधरा राजे ने इस अभ्यारणय को रास्ट्रीय पार्क बनाने की घोषणा की | इस अभ्यारणय का कुछ भाग अजमेर के अलावा पाली एवम राजसमन्द जिलो में विस्तृत है | यह अभ्यारणय 495.27 वर्ग किमी. में विस्तृत है |

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