भोतिक राशिया ( Physical quantities )

भोतिक राशिया Physical quantities 

भौतिक राशियाँ और उनके मात्रक
भौतिक राशियाँ (Physical Quantity):- वे सभी राशियाँ जिन्हें हम एक संख्या द्वारा व्यक्त कर सकते हैं तथा प्रत्यक्ष रूप से माप सकते हैं | उन्हें हम भौतिक राशियाँ कहते हैं |
जैसे- लम्बाई, द्रव्यमान, ताप, चाल, बल, समय आदि |
⇒भौतिक राशि का उदहारण:-


जब हम कभी कहते हैं कि किसी पेड़ की लम्बाई 4 मीटर है तो वास्तव हम उस पेड़ की लम्बाई की तुलना एक मीटर से कर रहे होते हैं |

 

मापन (Measurement) :- वह प्रक्रिया जिसमें हम यह पता करते हैं कि कोई दी हुई राशि किसी मानक राशि का कितने गुना हैं, मापन कहलाता है | ऊपर के चित्र को यदि आप ध्यान पूर्वक देखेंगे तो आप पायेंगे की 1 मीटर यदि मानक है, तो इस मानक से यदि पेड़ की तुलना की जाए तो आप पायेंगे कि पेड़ की लम्बाई इस मानक से 4 गुनी है | अब हम कह सकते हैं कि किसी भौतिक राशि का मान ज्ञात करने के लिए किसी मानक से तुलना करना ही मापन है |

मात्रक (Unit) :- किसी भौतिक राशि के एक नियत परिमाण को मानक (Standard) मान लिया जाता है तथा इस पर परिणाम का संख्यात्मक मान 1 माना जाता है | इस मानक के नाम को उस राशि का मात्रक कहते हैं |

भौतिक राशियों का वर्गीकरण

मूल राशियाँ (Fundamental Quantities): वे भौतिक राशियाँ जो एक दूसरे पर निर्भर नहीं करती हैं | मूल राशियाँ कहलाती हैं तथा इनके मात्रक मूल मात्र कहलाते हैं | जैसा कि निम्न Table में प्रदर्शित है-

मूल राशियाँ(Fundamentle Quantities) मूल मात्रक(Fundamentle units) संक्षिप्तियाँ(Abbreviation
लम्बाई मीटर m
द्रव्यमान किग्रा kg
समय सेकण्ड s
विद्युत धारा एम्पियर A
ताप कैल्विन K
ज्योति तीव्रता केंडिला cd
पदार्थ की मात्रा मोल mol

 



पूरक राशियाँ (Supplementary Quantities) :- तलीय कोण (Plane Angle) तथा घन कोण (Solid Angle) पूरक राशियाँ है तथा इनके मात्रक क्रमशः रेडियन तथा स्टेरेडियन है |

व्युत्पन्न राशियाँ :- वे राशियाँ जो मूल राशियों के पदों में व्यक्त की जाती हैं, व्युत्पन्न राशियाँ कहलाती हैं | क्षेत्रफल, आयतन, दाब, चाल, घनत्व आदि |

अदिश एवं सदिश राशियाँ (Scalar and Vector Quantities)

भौतिक राशियाँ दो प्रकार की होती हैं-

(i) अदिश राशि

(ii) सदिश राशि

अदिश राशियाँ (Scalar Quantities) :- जिन भौतिक राशियों को व्यक्त करने के लिए केवल परिमाण (Magnitude) की आवश्यकता होती है दिशा की नहीं, उन्हें अदिश राशि कहते हैं |

जैसे:- लम्बाई, दूरी, समय, क्षेत्रफल, द्रव्यमान, आयतन, चाल, घनत्व, दाब, कार्य, ऊर्जा, आवेश, आवृत्ति, विशिष्ट ऊष्मा, शक्ति, कोण, ताप, विद्युत धारा, विद्युत विभव आदि अदिश राशियाँ हैं |

चलिए अदिश राशि को एक उदहारण द्वारा समझने का प्रयास करते हैं-

यदि हम आपसे कहें कि आपके घर से स्कूल 2km की दूरी पर है |  

आप ध्यान दें तो आप पायेंगे कि इसमें दिशा की कोई बात नहीं की गयी अर्थात् स्कूल घर से 2km दूरी पर है

लेकिन किस दिशा में है, ये बात अज्ञात है, अतः हम दूरी के अदिश कहेंगे |

सदिश राशियाँ (Vector Quantities) :- जिन भौतिक राशियों को पूर्णतया व्यक्त करने के लिए परिमाण के साथ-साथ दिशा की भी आवश्यकता होती है, उन राशियों को सदिश राशियाँ कहते हैं |



जैसे- विस्थापन, वेग, बल, त्वरण, संवेग, बल-आघूर्ण, आवेग, भार, विद्युत क्षेत्र, चुम्बकीय बल-क्षेत्र, कोणीय वेग आदि सदिश राशियाँ हैं |

चलिए सदिश राशि को समझने के लिए एक उदहारण लेते हैं- यदि हम आप से कहें कि इस दरवाजे को बंद करने के लिए 2 न्यूटन का बल लगाइए |

आप ध्यान देंगे तो पायेंगे कि यह कथन अपूर्ण है | इसके लिए हमें आपको कहना चाहिए था कि इस दरवाजे को बन्द करने के लिए 20 न्यूटन का बल अन्दर की ओर लगाओ | अतः बल के लिए हमें परिमाण (20 न्यूटन) तथा दिशा (अन्दर की ओर) दोनों की आवश्यकता पड़ती है, इसलिए हम निश्चित रूप से कह सकते हैं, कि बल सदिश राशि है |

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भौतिक राशियाँ, मानक एवं मात्रक Physical quantities, standard and quantities:-

भौतिक राशियां, मानक एवं मात्रक

यांत्रिकी में आने वाले सभी भौतिक सम्बन्धी नियमों को- समय, बल ताप, घनत्व जैसी तथा अन्य अनेक भौतिक राशियों के सम्बन्ध-सूत्रों के रूप में व्यक्त कर सकते हैं। सभी भौतिक राशियों को सामान्यतः मूल एवं व्युत्पन्न राशियों में बांटा जाता है। व्युत्पन्न राशियाँ वे राशियां कहलाती हैं, जो अन्य भौतिक राशियों पर आधारित होती है, जैसे-गति, क्षेत्रफल, घनत्व इत्यादि। मूल राशियां वह हैं, जिन्हें अन्य राशियों के दो पदों में परिभाषित नहीं किया जा सकता है, जैसे- लम्बाई, द्रव्यमान एवं समय।

मूल भौतिक राशियां

वे हैं, जिन्हें बिना किसी दूसरी राशि की सहायता से स्वतन्त्र रूप से परिभाषित किया जा सकता है, जैसे-संहति या (द्रव्यमान) लम्बाई, समय, आदि द्रव्यमान का लम्बाई या समय से कोई संबंध नहीं है, अतः वे तीनों ही परस्पर स्वतंत्र हैं और मूल भौतिक राशियां है, इसी प्रकार ताप, विद्युतधारा आदि भी भौतिक राशियां है। सात मूल तथा दो सम्पूरक राशियां होती हैं।

भौतिक राशियां

जिसे संख्या के रूप में प्रकट किया जा सके, उसे राशी कहते हैं। जैसे-जनसंख्या, प्रतिशत, अंक, मेज की लम्बाई, वस्तु का भार आदि इनमें से अन्तिम दो ही भौतिक राशियां है। भौतिकी के नियमों को जिन राशियों के पदों में व्यक्त किया जाता है, उन्हें भौतिक राशियां कहते हैं, जैसे- वस्तु की संहति, लम्बाई, बल, वेग, चाल, दूरी, विद्युत धारा, संवेग, घनत्व आदि।

भौतिक राशियों को साधारणत: दो प्रकार से बांटा जा सकता है- मूल भौतिक राशियां तथा व्युत्पन्न भौतिक राशियां

व्युत्पन्न भौतिक राशियां

वे हैं, जिन्हें मूल भौतिक राशियों के पदों में परिभाषित किया जाता है, जैसे- चाल एक व्युत्पन्न राशि है क्योंकि चाल = दूरी/समय या लम्बाई/समय, अर्थात चाल मूल राशियों लम्बाई तथा समय के पदों में परिभाषित की जाती है।

व्युत्पन्न भौतिक राशियों को साधारणत: दो वर्गों में बांटा जा सकता है-

  1. अदिश राशियां
  2. सदिश राशियां

अदिश राशियां

वे राशियां, जिनमें केवल परिमाण होता है, जैसे-संहति, घनत्व, विद्युतधारा, चाल, आयतन, ताप आदि।

सदिश राशियां

वे राशियां, जिनमें परिमाण के साथ-साथ दिशा भी होती है, सदिश राशि कहलाती हैं, जैसे- वेग, त्वरण, बल, संवेग आदि। यदि हम कहे कि बस की चाल 50 किमी./घण्टा है तो कथन पूर्ण है, परन्तु यदि कथन कि बस का वेग 50 किमी./घण्टा है तो अपूर्ण है। क्योंकि वेग एक सदिश राशि है और उसके साथ दिशा बताना आवश्यक है, अतः यह कथन कि बस का वेग उत्तर की ओर 50 किमी./घण्टा है, एक पूर्ण कथन है।

मात्रक

प्रत्येक राशि की माप को लिए उसी राशि का कोई मानक मान चुन लिया जाता है। इस मानक को मात्रक कहते हैं, किसी राशि की माप को प्रकट करने के लिए दो बातों का ज्ञान आवश्यक है – (1) मात्रक (2) संख्यात्मक मान, जो उस राशि को परिमाण को प्रकट करता है, अर्थात् यह बतलाया है कि उस राशि में मात्रक कितनी बार सम्मिलित है।

उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति का ताप 37.5 डिग्री सैल्सियस है तो माप का मात्रक डिग्री सैल्सियस है और परिमाण 37.5। भौतिकी में काम आने वाला प्रत्येक मापक यंत्र का एक स्कल होता है। बड़ी राशि को मापने के लिए बड़ा मात्रक और छोटी राशि को मापने के लिए छोटा मात्रक काम में लाया जाता है।

अतः भौतिकी संबंधी सभी मापों को मानक मात्रकों में व्यक्त करना चाहिए। प्रारम्भ में, अनेक देशों में मात्रकों की विविध पद्धतियाँ प्रचलित थी। इसको देखते हुए 1960 में भार एवं माप संबंधी सामान्य संगोष्ठी ने इस हेतु मापों के लिए मीट्रिक पद्धति प्रस्तावित की, जिसे मात्रकों की अंतर्राष्ट्रीय पद्धति के नाम से जाना गया, जिसका संक्षिप्त रूप SI मात्रक है।



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मात्रक पद्धतियाँ

भौतिक राशियों के मापन के लिए निम्नलिखित चार पद्धतियां हैं-

SI के मूल या आधारी मात्रक
भौतिक राशि मात्रक के नाम मात्रक के संकेताक्षर
लंबाई मीटर m
द्रव्यमान किलोग्राम Kg
समय सेकंड S
ताप कल्विन K
विद्युतधारा ऐम्पियर A
ज्योति तीव्रता कैण्डेला Cd
पदार्थ के द्रव्यमान मोल mol
SI के संपूरक मूल मात्रक
समतल कोण रेडियन red
घन कोण स्टेरेडियन Sr
SI के कुछ पुराने मात्रकों के नए नाम और संकेत
पुराना मात्रक नया मात्रक
ताप डिग्री सेण्टीग्रेड, C केल्विन, K
आवृत्ति कम्पन प्रति सेकण्ड, c.p.s हर्ट्ज, Hz
ज्योति-तीव्रता कैण्डिल शक्ति, C.P. कैण्डेला, cd
महत्वपूर्ण मात्रक
मात्रक सम्बद्ध भौतिक राशि मात्रक सम्बद्ध भौतिक राशि
डायप्टर लेंस की शक्ति म्हो विद्युत् चालकता
डाइन बल कैलोरी ऊष्मा (CGS)
अर्ग ऊर्जा कूलम्ब विद्युत आवेश
जूल ऊर्जा (1 जूल = 107 अर्ग) सेंटीग्रेड तापमान (CGS)
न्यूटन बल (1 न्यूटन = 105 डाइन) केल्विन तापमान (SI)
इलेक्ट्रॉन वोल्ट नाभिकीय ऊर्जा सेंटीमीटर दूरी (CGS)
फैराडे विद्युत धारिता क्यूरी रेडियो विखण्डन
फर्मी नाभिक की लम्बाई रदरफोर्ड रेडियो विखण्डन
गैलन आयतन (1 गैलन = 4.55 लीटर) डेसीबल ध्वनि तीव्रता
गॉस चुम्बकीय प्रेरण हेनरी प्रेरकत्व
नॉट समुद्री चाल वेबर चुम्बकीय फ्लक्स
फैदम समुद्री गहराई (1 फैदम = 6 मीटर) ओरस्टेड चुम्बकीय तीव्रता
डेसीबल ध्वनि तीव्रता (1 बेल = 10 डेसीबल) वाट शक्ति
बैरेल आयतन (1 बैरल = 37.5 गैलन) वोल्ट विभव व विभवान्तर
केबल समुद्री गहराई किलोवॉट शक्ति
रीम कागज की माप हर्ट्ज आवृत्ति
फ्रेट्टन जलयानों द्वारा लदाई समान की इकाई अश्व शक्ति शक्ति (1अश्व शक्ति = 746 वॉट)
रॉटजन किरण से उत्पन्न विकिरण की मात्रा मेक्सबेल चुम्बकीय प्रेरण (CGS)
क्यूसेक द्रवों का प्रवाह टेसला चुम्बकीय क्षेत्र
मैक संख्या वायुयान की चाल किलोवॉट घंटा विद्युत ऊर्जा (एक यूनिट)
ग्रूस 12 दर्जन ल्यूमेन ज्योति फ्लक्स
क्यूबिट दूरी (1 क्यूबिट = 18 इंच) केण्डेल ज्योतीय तीव्रता
बिट्स कम्प्यूटर की याद्दाशत पास्कल दबाव
एकड़ भूमि की माप (4840 वर्ग गज) बार दबाव
लीग दूरी (1 लीग = तीन मील) स्ट्रोक काइनेटिक श्यानता (CGS)
नौटिकल मील समुद्री दूरी पौण्ड मात्रा (FPS)
ऐम्पीयर विद्युतधारा डोब्सन ओजोन परत की मोटाई
ओम विद्युत प्रतिरोध कैण्डल शक्ति प्रदीपन तीव्रता

⇨ C.G.S. पद्धति में लम्बाई, द्रव्यमान तथा समय के मात्रक Centimentre-Gran-second या C.G.S. पद्धति कहते हैं, इसे फ्रेंच या मीट्रिक पद्धति भी कहते हैं।

⇨ F.P.S. पद्धति में लम्बाई, द्रव्यमान और समय के मात्रक क्रमश: फुट, पाउण्ड तथा सेकेण्ड होते हैं, इसे ब्रिटिश पद्धति भी कहते हैं।

⇨ M.K.S. पद्धति में लम्बाई, द्रव्यमान और समय के मात्रक क्रमश: मीटर, किलोग्राम और सेकण्ड होते हैं। यह C.G.S. पद्धति का भी एक रूप है। इस पद्धति के मात्रक व्यवहारिक मात्रक होते हैं, अत: पिछले कई दशकों से वैज्ञानिक मापों में इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है।

⇨ अंतर्राष्ट्रीय पद्धति अथवा SI सन् 1967 में अंतर्राष्ट्रीय माप तौल के महाधिवेशन में SI को स्वीकार किया गया, जिसका पूरा नाम de Systeme Internationale d’Unites है। SI में S का अर्थ है System और I का  Internalionale अतः SI पद्धति के स्थान पर केवल SI लिखा जाता है।



आजकल इसी पद्धति का प्रयोग किया जाता है। इस पद्धति में 7 मूल मात्रक और दो सम्पूरक मात्रक होते हैं।

विमाएं

भौतिक राशियों के व्युत्पन्न मात्रक निकालने के लिए मूल मात्रकों पर जो घातें लगानी पड़ती हैं, उन्हें उस राशि की विमाएं कहते हैं। लम्बाई, द्रव्यमान, समय तथा ताप के विमीय संकेत क्रमश: L.M.T तथा K प्रयुक्त किये जाते हैं। यदि किसी भौतिक राशि की लम्बाई में a, द्रव्यमान में b, समय में c तथा ताप में d विमाएं हो, तो उस राशि की विमाओं को निम्नलिखित प्रकार लिखते हैं – [LaMbTcQd]

इसे उस राशि का विमीय सूत्र कहते हैं।

महत्वपूर्ण विमीय सूत्र

घनत्व [ML-3],

रेखीय वेग [LT-1],

कोणीय वेग [T-1],

रेखीय त्वरण [LT-2],

कोणीय त्वरण [T-2],

रेखीय संवेग [MLT-1],

कोणीय संवेग [ML2T-1],

बल [MLT-2],

बल आघूर्ण [ML2T-2 ],

जडत्व आपूर्ण [ML2],

कार्य [ML2T-2],

शक्ति [ML2T-3],

आवेग [MLT1],

विकृति (विमाहीन),

प्रतिबल [ML1T -2],

प्रव्यवास्थता गुणांक, [ML-1T-2 ],

पृष्ठ तनाव [MT-2 ],

श्यानता गुणांक [ML-1T-1]

प्रमुख रूपान्तरण

प्रकाश द्वारा निर्वात में 1 वर्ष में चली गई दूरी

  1. प्रकाश वर्ष: प्रकाश द्वारा निर्वात में 1 वर्ष में चली गई दूरी = 9.46 × 1015 मीटर
  2. खगोलीय मात्रक: पृथ्वी तथा सूर्य के बीच की औसत दूरी = 1.496 × 1011 मीटर
  3. पारसेक: यह दूरी का मात्रक है।

1 पारसेक = (3.26 प्रकाश वर्ष) या 3.08 × 1016 मीटर

  1. ज्योति तीव्रता का मात्रक: ज्योति तीव्रता का मात्रक केन्डिला है। मानक स्रोत के खुले मुख के 1 से.मी. क्षेत्रफल की ज्योति तीव्रता का 1/60वां भाग एक केन्डिला कहलाता है, जबकि स्रोत का ताप प्लेटिनम के गलनांक के बराबर हो।
  2. समय का मात्रक: SI पद्धति में समय का मात्रक सेकण्ड होता है। एक मध्याह के बीच की अवधि को सौर दिन कहा जाता है तथा पूरे वर्ष के सौर दिनों के माध्य को माध्य सौर दिन कहते हैं।

माध्य सौर दिवस 1/86400 भाग एक सेकण्ड के बराबर होता है।

1 पिको सेकण्ड = 10-12 सेकण्ड

1 नैनो सेकण्ड = 10‑9 सेकण्ड

1 माइक्रो सेकण्ड = 10-6 सेकण्ड

1 मिली सेकण्ड = 10‑3 सेकण्ड

1 माइक्रोन = 10-6 मीटर

1 मिलीमाइक्रोन = 10-9 मीटर

1 आंग्स्ट्राम मात्रक = 10-10 मीटर

1 फर्मी = 10-15 मीटर

व्युत्पन्न मात्रक

  1. चाल = दूरी/समय; चाल का मात्रक मी. / सेकेण्ड
  2. त्वरण = वेग परिवर्तन/समय

त्वरण का मात्रक = मीटर/सेकण्ड/सेकण्ड = मीटर/सेकण्ड2

  1. बल = दव्यमान x त्वरण;

बल का मात्रक = किग्रा. × मी. / सेकेण्ड2 = न्यूटन

  1. कार्य = बल x विस्थापन;

कार्य का मात्रक = न्यूटन x मीटर = किग्रा.मी.2/सेकेण्ड2

कार्य के मात्रक को जूल भी कहते हैं।

1 जूल = 1 न्यूटन मीटर

  1. गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा = द्रव्यमान x गुरुत्वीय त्वरण x दूरी

गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का मात्रक = किग्रा.मी.2/सेकेण्ड2

  1. क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई; क्षेत्रफल का मात्रक = मीटर x मीटर = मीटर2
  2. घनत्व = द्रव्यमान/आयतन; घनत्व का मात्रक = किग्रा./मी.3
उपसर्ग दस के घात संकेताक्षर
जिगा 109 G
मेगा 106 M
किलो 103 K
मिलि 10-3 m
माइक्रो 10-6 u
नैनो 10-9 n
पिको 10-12 р

द्रव्यमान के मात्रक

SI पद्धति में द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम है।

1 टेराग्राम = 109 किग्रा,

1 पिकोग्राम = 10-15 किग्रा

1 जीगाग्राम = 106 किग्रा,

1 मिलीग्राम = 10‑6 किग्रा,

1 मेगाग्राम = 1 टन = 103 किग्रा = 10 क्विंटल

1 क्विंटल = 102 किग्रा

1 डेसीग्राम = 10-4 किग्रा

1 स्लग = 10.57 किग्रा.

  1. आयतन = लम्बाई × चौड़ाई × ऊंचाई;

आयतन का मात्रक = मीटर x मीटर x मीटर = मीटर3

  1. वेग = विस्थापन/समय,

वेग का मात्रक = मीटर/सेकण्ड

  1. शक्ति = कार्य/समय;

शक्ति का मात्रक = जूल/सेकेण्ड शक्ति के मात्रक को ‘वाट’ भी कहते हैं।

1 वाट = 1 जूल/सेकेण्ड।

भौतिक राशियां, मानक एवं मात्रक और गति ० A.7

  1. संवेग = द्रव्यमान × वेग;

संवेग का मात्रक = किग्रा. मी./सेकण्ड

  1. गतिज ऊर्जा = 1/2 × द्रव्यमान × वेग2;

गतिज ऊर्जा का मात्रक = किग्रा. मी.2/सेकण्ड2



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